हाथरस। आगामी 11 जुलाई को सम्पूर्ण भारत वर्ष में सप्तम वेतन आयोग की वेतन विसंगतियों को लेकर होने जा रही व्यापक हडताल के मद्देनजर उ. प्र. राज्य कर्मचारी महासंघ के जनपद स्तर के पदाधिकारियों का राज्य स्तरीय सम्मेलन 19 जून को गंगाप्रसाद मैमोरियल हाल लखनऊ में सम्पन्न हुआ।
उक्त सम्मेलन में कर्मचारी संगठनों को चलाने वाले प्रदेश स्तरीय समस्त संघों के पदाधिकारियों का आव्हान कर्मचारी हित में किया गया जिस पर राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के प्रदेश अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी ने अपने साथियों के साथ पहुॅच कर हड़ताल का समर्थन करते हुए 11 जुलाई को हड़ताल पर जाने की घोषणा की गयी।
सम्मेलन में यह बिन्दु भी प्रमुखता के साथ उठा कि जब सप्तम वेतन आयोग में प्रत्येक संवर्ग के प्रत्येक कर्मचारी को नुकसान है तब अन्य संघों के पदाधिकारियों को भी खुलकर उक्त देशव्यापी हडताल का समर्थन करना चाहिये था, परन्तु ऐसा न करने से यह स्पष्ट होता है कि वे नहीं चाहते कि समस्त कर्मचारी पूर्ण एकजुटता के साथ अपने अधिकारों को प्राप्त करने हेतु एकजुट होकर संघर्ष करें, इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि वे सरकारों के प्रति किन्ही कारणोंवश वफादार हैं। सरकार के चाटुकार ऐसे प्रदेश स्तरीय पदाधिकारियों का जनपद स्तरीय उनके संगठनों द्वारा बहिष्कार करते हुये संघर्ष में भागेदारी हेतु आगे आना चाहिये।
सम्मेलन से अपने साथियों के साथ लौटे महासंघ के प्रदेश उपाध्यक्ष रामकुमार गोस्वामी ने समस्त विभागों एवं संवर्गों के राज्य कर्मचारियों से यह कहते हुये कि प्रदेश में फील्ड कर्मचारियों के लिये संयुक्त परिषद व लिपिकीय एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के लिये राज्य कर्मचारी महासंघ दो ही संगठन होते हैं और 11 जुलाई से होने वाली हड़ताल में प्रत्येक कर्मचारी स्वयं आगे आकर अपने संघर्ष हेतु भागेदारी कर अपनी मांगों को पूर्ण करावे। श्री गोस्वामी ने यह भी कहा है कि हजारों की संख्या में आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों, आशा बहुयें, रसोइयों, पी.आर.डी. जवान, रोजगार सेवकों ने अपने हकों हेतु उक्त सम्मेलन में भागेदारी कर अपनी आवाज बुलन्द करते हुये 11 जुलाई से हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है। राज्य कर्मचारी महासंघ की मांग समस्त मानदेय कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन 18 हजार रूपया देते हुये इन्हें न्यूनतम मजदूरी एक्ट के तहत लाया जाने के लिये प्रदेश के समस्त स्कीम वर्कस को आगे आकर हड़ताल में भागेदारी करनी चाहिये जिससे उनके हक के संघर्ष को गति मिल सके।
उक्त सम्मेलन में कर्मचारी संगठनों को चलाने वाले प्रदेश स्तरीय समस्त संघों के पदाधिकारियों का आव्हान कर्मचारी हित में किया गया जिस पर राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के प्रदेश अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी ने अपने साथियों के साथ पहुॅच कर हड़ताल का समर्थन करते हुए 11 जुलाई को हड़ताल पर जाने की घोषणा की गयी।
सम्मेलन में यह बिन्दु भी प्रमुखता के साथ उठा कि जब सप्तम वेतन आयोग में प्रत्येक संवर्ग के प्रत्येक कर्मचारी को नुकसान है तब अन्य संघों के पदाधिकारियों को भी खुलकर उक्त देशव्यापी हडताल का समर्थन करना चाहिये था, परन्तु ऐसा न करने से यह स्पष्ट होता है कि वे नहीं चाहते कि समस्त कर्मचारी पूर्ण एकजुटता के साथ अपने अधिकारों को प्राप्त करने हेतु एकजुट होकर संघर्ष करें, इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि वे सरकारों के प्रति किन्ही कारणोंवश वफादार हैं। सरकार के चाटुकार ऐसे प्रदेश स्तरीय पदाधिकारियों का जनपद स्तरीय उनके संगठनों द्वारा बहिष्कार करते हुये संघर्ष में भागेदारी हेतु आगे आना चाहिये।
सम्मेलन से अपने साथियों के साथ लौटे महासंघ के प्रदेश उपाध्यक्ष रामकुमार गोस्वामी ने समस्त विभागों एवं संवर्गों के राज्य कर्मचारियों से यह कहते हुये कि प्रदेश में फील्ड कर्मचारियों के लिये संयुक्त परिषद व लिपिकीय एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के लिये राज्य कर्मचारी महासंघ दो ही संगठन होते हैं और 11 जुलाई से होने वाली हड़ताल में प्रत्येक कर्मचारी स्वयं आगे आकर अपने संघर्ष हेतु भागेदारी कर अपनी मांगों को पूर्ण करावे। श्री गोस्वामी ने यह भी कहा है कि हजारों की संख्या में आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों, आशा बहुयें, रसोइयों, पी.आर.डी. जवान, रोजगार सेवकों ने अपने हकों हेतु उक्त सम्मेलन में भागेदारी कर अपनी आवाज बुलन्द करते हुये 11 जुलाई से हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है। राज्य कर्मचारी महासंघ की मांग समस्त मानदेय कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन 18 हजार रूपया देते हुये इन्हें न्यूनतम मजदूरी एक्ट के तहत लाया जाने के लिये प्रदेश के समस्त स्कीम वर्कस को आगे आकर हड़ताल में भागेदारी करनी चाहिये जिससे उनके हक के संघर्ष को गति मिल सके।


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