हाथरस- डीपीएस मे बाॅलीबुड पर बच्चों ने मचाया धमाल, सिने सुदर्शन में सिनेमा की सतरंगी छटा, शतरंगी मंच ने सभी को मनमोहा

हाथरस।
दिल्ली पब्लिक स्कूल अलीगढ़, सिविल लाइंस, हाथरस तीनों विद्यालय संयुक्त रूप से फिल्म जगत के सौ वर्षों के गौरवपूर्ण सफर को अपने सांस्कृतिक महोत्सव, सिने सुदर्शन के माध्यम सेे सीनियर विंग में प्रस्तुत किया गया, जिसमें तीनों विद्याल
यों के करीब 3500 बच्चे, भूतपूर्व छात्र, शिक्षक व अभिभावकगणों ने फिल्म जगत के सफर की विभिन्न कार्यक्रमों द्वारा मनोहारी प्रस्तुति दी। इस महोत्सव का उद्देश्य भारतीय सिनेमा के इतिहास व महत्त्व को प्रदर्शित कर भारत की भावी पीढ़ी में कल्पनाशीलता, रचनात्मकता, मनोरंजकता तथा बौद्धिक स्तर को सुदृढ़ करके वैश्विक विचारों का व्यवहारीकरण प्रदान करना है।
     विद्यालय में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं में से ही भारतीय सिनेमा के सुपरस्टार नायक, नायिकाओं, सहनायकों एवं अभिनायकों को चुना गया है। जो एक अनोखे अंदाज में अपने  एक्ट, नृत्य, एक्शन, नरेशन, वीजुअल के माध्यम से दर्शकों के हृदय को सराबोर कर दिया। सिनेमा समाज का दर्पण है, दुनिया में इज़्ज़तें, शोहरतें, चाहतें, उल्फतें, सब परिवर्तनशील है। प्रेम, रोमांस, संवेदना, सहयोग, वीरता, देशभक्ति के स्वर, संगीत के माध्यम से श्रोताओं में जोश भर देते दिखाई देते है। इंसानियत, देशप्रेम व एकता के भाव ही सर्वोपरि हंै जो नायक, नायिका, हास्य कलाकार, खलनायकों के अनोखे समागम से व्यक्ति मात्र केे जीवन में नवरस का ंसंचार किया गया ।
सिने सुदर्शन में न सिर्फ नृत्य-गीत-संगीत-कला-शिक्षा के माध्यम से सिनेमा के सुहाने सफर को दिखाने का प्रयास किया गया, बल्कि फिल्म जगत के विभिन्न कलाकारों के रूप में डीपीएस कलाकारों की अभिनय कला को भी दिखाया गया, इस कार्यक्रम की सभी प्रस्तुतियों को विद्यालय के विद्यार्थी शिक्षकों के निर्देशन में तैयार किया गया था। विद्यालय के प्रो0 वाइस चेयरमैन स्वप्निल जैन ने सभी छात्रों, शिक्षकों, अतिथिगणों धन्यवाद देते हुए आभार व्यक्त किया और कहा कि अभिनय कर रहे छात्रों में ही अमिताभ बच्चन, लता मंगेशकर तथा ऐश्वर्या राय जैसे कलाकार छुपे हुए हैं बस आवश्यकता है इन भावी कलाकारों को विशाल मंच प्रदान करने की। उन्होंने कहा कि भारतीय समाज में व्याप्त कुरीतियों और कुप्रभावों का दर्पण दिखाने का काम भारतीय सिनेमा ने बखूबी किया है। आगे बढ़ने की ललक, प्रतिस्पर्धा, होड़ और संघर्ष में भी हार न मानने का जज्बा आदि को उन्होंने जिंदगी की सफलता के लिए आवश्यक बताया और कहा कि ऐसे कार्यक्रमों में हिस्सा लेने से छात्रों में उच्चस्तरीय आत्मविश्वास के साथ-साथ उन्हें अपनी-अपनी अन्तर्निहित प्रतिभाओं को निखारने का भी अवसर प्राप्त होता है।
दिल्ली पब्लिक स्कूल अलीगढ़ में सिनेमा के सफ़र को ं 1913 से 2016 के सफ़र को चार भागों में विभाजित किया गया। बाॅलीवुड के पितामह दादा साहेब फालके, जिन्होंने  सन् 1913 में पहली मूक फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’ का निर्माण करके भारतीय सिनेमा की नींव रखी। और फिर मंजिलें मिलतीं गयीं।  2016 तक के गौरवमयी सफर में भारतीय सिनेमा ने एक के बाद एक नये विविध आयाम रचे।
पहले एरा प्रथम भाग में 1913 से 1960 के बीच की फिल्मों के सुपरस्टार नायक, नायिकाओं, सहनायक, सहनायिकाओं, अभिनायकों व खलनायकों को चुना गया है। जिनमें राजकपूर, नरगिस, सुनील दत्त, राजेन्द्र कुमार, दिलीप कुमार, बैजन्ती माला, बहीदा रहमान, पृथ्वीराज कपूर, दुर्गा खोटे तथा मधुबाला आदि नायक नायिकाओं के जीवन्त चरित्रों से समाज के दर्पण को दर्शाया गया। दर्शकों को यह भी दिखाया गया कि भारतीय सिनेमा ने कैसे हम सबकी ज़िन्दगियों को रंगीनियत प्रदान की है।
मूक फिल्म राजा हरिश्चंद्र के बाद दे दे खुदा के नाम पर दे दे, दूर हटो ये दुनिया वालो हिन्दुस्तान हमारा है, प्यार हुआ इकरार हुआ प्यार से फिर क्यों डरता है दिल, ओ गाड़ी वाले गाड़ी धीरे हाँक रे, ये देश है वीर जवानों का, दैया रे दैया , अरे जा रे हट नटखट, कहीं दीप जले कहीं दिल, कौन सी है मंजिल, मोहे पनघट पै नन्दलाल छोड़ गयौ रे, प्यार किया तो डरना क्या, जिंदबाद मोहब्बत जिंदबाद। अभिनय करने वाले छात्र-छात्राओं ने मुगले आजम एक्ट द्वारा अकबर और अनारकली के अनछुए पहलुओं की प्रेम कहानी को अनोखे ढंग से दिखाया। जो धरती से आकाश तक लहरों से सागर तक जोड़ने वाली मोहब्बत ही तो है, ऐसे भाव मुगले आजम के द्वारा प्रदर्शित किए गए।
दूसरे एरा- सिने सुदर्शन के दूसरे भाग में डीपीएस हाथरस के छात्र-छात्राओं ने समां बाँधा । उसमें 1961 से लेकर 1980 तक के फिल्मी सितारों, नायिकाओं आदि को चुना गया था, जिसमें राजकपूर, हेलन, जीनतअमान, मीना कुमारी, बिन्दू, प्राण राजेश खन्ना, मुमताज, मेहमूद, अमिताभ बच्चन, धर्मेन्द्र कुमार, हेमा मालिनी, अमजदखान, संजीव कुमार और जया भादुड़ी आदि नायक नायिकाओं द्वारा भारतीय संस्कृति, रहन-सहन, वेशभूषा के साथ-साथ इंसानियत, देशभक्ति आदि का रोचक प्रदर्शन किया गया। छात्रों ने ए भाई ज़रा देख के चलो आगे भी नहीं पीछे भी, दाएँ भी नहीं बाएँ भी......, पिया तू अब तो आजा, शोला सा मन बहके आके बुझा जा............., दम मारो दम मिट जाए गम............., चलते-चलते 2 यूँ ही को ई मिल गया था सरे राह चलते-चलते......, राज़ की बात कह दूँ तो जान महफिल में फिर क्या हो.............,, जय जय शिव शंकर काँटा लगे ना कंकर ये प्याला तेरे नाम का पिया............., मुत्तु कुड़ी कॅवारी हडा.............,  ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे.............,  होली के दिन दिल खिल जाते हैं रंगों में रंग मिल जाते हैं.............,  बचना ऐरा हसीनो लो मैं आ गया............., अरे दीवानों मुझे पहचानो कहाँ से आया मैं हूँ कौन.............,  खाए के पान बनारस वाला खुल जाए बंद अकल का ताला आदि गीतों द्वारा से समा बाँध दिया ।
तीसरा  एरा- सिने सुदर्शन की तीसरी कड़ी में डीपीएस सिविल लाइन्स के छात्रों ने इस भाग में 1981 से 2002 तक के फिल्म इण्डस्ट्री के चमकते सितारे नायक, नायिकाओं, अभिनायकों तथा खलनायकों के चरित्रांे का बखूबी ढंग से अभिनय कर सभी दर्शकों की वाहवाही लूटी। इसमें उन्होंने अमिताभ बच्चन, अमजद खान, नीतू सिंह, मिथुन, माधुरी दीक्षित, अमरीश पुरी, शाहरुख खान, काजोल, गोविन्दा, आमिर खान, जया प्रदा, अनिल कपूर, रविना  टंडन, सोनाली बंेद्रे, उर्मिला मातोण्डकर, ऐश्वर्या राय, रणवीर कपूर, अजय देवगन, काजल अग्रवाल, श्रीदेवी, ऋषि कपूर, दिव्या भारती, जीनत अमान, संजय दत्त, जितेन्द्र, सलमान खान व प्रियंका चोपड़ा आदि के नृत्य तथा अभिनय के माध्यम से भारतीय सिनेमा की अनुपम छटा का मंचन किया। छात्रों ने जहाँ नृत्य एवं अभिनय के द्वारा सभी के दिलों में प्रेम की सरगम बजा डाली वहीं छात्रों की उत्तम प्रस्तुति देखकर सभी दर्शक कुर्सियों से उठकर झूमने पर मजबूर हो गए।
छात्र कलाकारों ने तीसरे एरा में सारा जमाना हसीनों का दीवाना, आइ एम ए डिस्को डांसर, नैनों में सपना सपनों में सजना, एक दो तीन, हमको आलकल है इंतज़ार, ए जी ओ जी, मेरे ख्वाबों में जो आए, तुझे देखा तो ये जाना सनम, मैं तो रस्ते से जा रहा था, किसी डिस्को में जाएँ, प्रेम जाल में फँस गई मैं तो, छम्मा-छम्मा ओ छम्मा-छम्मा, बाहों के दरमियाँ, ढोली थारो ढोल बाजे, सिलसिला ये चाहत का, डोला रे डोला, इतनी सी हँसी, सिंघम, पापा कहते हैं, चाँदनी तू मेरी चाँदनी, सात समुंदर पार, बचना ए हसीनो लो मैं आ गया तथा खाइके पान बनारस वाला आदि गीतों को ऐसे वास्तविकता के भावों से भर दिया कि देखने वाले लोग भावविभोर हो उठे और कार्यक्रम स्थल करतल ध्वनि से गंुजायमान हो गया।
चैथे एरा- चतुर्थ एरा में डीपीएस सीनियर विंग के छात्रों ने युवाओं के चहेते हीरो हीरोइनों के रोल करके सबको आश्चर्यचकित कर दिया। इस काल की कड़ी में छात्रों ने 2003 से 2016 तक के अक्षय कुमार, रितिक रोशन, कंगना, करीना कपूर, कैटरीना कैफ़, आलिया भट्ट, दीेपिका पादुकोण, प्रियंका चोपड़ा, जैक्लीन, सलमान खान, आमिर खान,  शाहरुख खान, रनवीर सिंह, शाहिद कपूर व वरुण धवन कलाकारों का रूप धारण कर सुसज्जित मंच पर चार चाँद लगा दिए जिसे देख श्रोतागण प्रसन्न होकर वाह-वाह करने से खुद को नहीं रोक सके।
छात्रों ने बलमा, खिलाड़ी भैया खिलाड़ी, सिंग इज़ किंग, धूम-धूम, कहो ना प्यार है, चाहत के दो पल भी सेनियोरीटा, तू तू तू तू मेरी मैं तेरा, जलवा-जलवा नशा ही नशा, क्यों न बोले मोसे मोहन, आसमां तेरा मेरा हुआ-संयारा-संयारा, मासल्ला-मासल्ला चेहरा है मासल्ला चेहरा है मासल्ला तुझको चुराया है, इश्क वाला लव-नज़र जो तेरी लागी मैं दीवानी हो गई, जिया मैं न जिया रेजा रेजा मेरा जिया, ये रात रुक जाए बात थम जाए, तेरी बाहों में प्यास जगी है मेरे लबों पै, सूरज कब दूर गगन से चंदा कब दूर किरन से, प्रेम लीला-यहाँ भी होगा वहाँ भी होगा तेरा भी जलवा, मैं हूँ हीरो तेरा आशियाना मेरा साथ तेरे रहना, प्रेम रतन धन पायो, मूछों को थोड़ा राउण्ड घुमा के लुंगी डांस, मलंग मलंग मल्हारी डांस, बजने दे धड़क-धड़क ढोल तासे भंडारा, आसमां से आ गिरी शाम शानदार, माई तेरी चूनरिया लहराई, इक तेरा नाम है सांचा, वंदे मातरम, देखो-देखो है शाम बड़ी दीवानी, धीरे-धीरे बन जाए न कोई कहानी जैसे गीतों से पूरे प्रांगण को सराबोर कर दिया।
ह्यूमन चैन में 60 फुट की ऊँचाई पर रंगीन एलईडी से सुसज्जित बच्चे हवा में लहराते हुए दिखाई दिए। प्रस्तुतियों के मध्य कार्यक्रम में वाटर डांस, मार्टिनीवाॅल एक्ट, एरियल एक्ट, शिल्क एक्ट सेंड एक्ट, कास्टिंग वीडियो की शानदार छटा भी देखने को मिली। मुगले आज़म, शोले एक्ट के अभिनय में एक्शन, इमोशन, ड्रामा बड़े ही रोमांचक ढंग से दिखाई दिया।
पूरे विद्यालय को  फिल्म महोत्सव; सिने सुदर्शन का रूप में सजाया गया । ऐसा लगा रहा था कि मुम्बई शहर सिमट कर यहीं आ गया हो। सम्पूर्ण नृत्यसामग्री डीपीएस, आर्ट विभाग के शिक्षकों की देखरेख में बनाई गई हैं। 16 फिट के तीन भव्य प्रवेश द्वार बनाए गए थे जो फिल्मी संस्कृति को प्रदर्शित कर रहे थे। उन पर सजावट के लिए  केनवास पर फिल्मों के पोस्टर दीवार, सिंघम, वाजीराव मस्तानी, सुल्तानी, मुगले आजम, शोले, दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे, राॅकस्टार, राउडी राठौर व मोहन जुदाड़ो के पोस्टर अनुपम शोभा को बढ़ा रहे हैंे।
प्लाई वुड के कट-आउट पर हीरोइन करीना कपूर, ऐश्वर्या राय, माधुरी दीक्षित, सुस्मिता सेन, हेमा मालिनी, प्रियंका चैपड़ा आदि ने सुन्दरता में चार चाँद लगा दिए । प्रोप्स में तीन बैल गाड़ी, रेत पर बनी बालू की मूर्तियाँ, अवार्ड सेरेमनी, मदर इण्डिया, प्रभात सिनेमा,  आइफा अवार्ड, तोइफा अवार्ड व फिल्मफेयर अवार्ड को बालू पर उकेरा गया।
कैमरायुक्त  भव्यगेट बनाया गया जिसमें 20 बड़ी कैमरे की रीलें सजी थीं। प्रोप्स नृत्यसामग्री में 50 गिटार, 30 मैंटालिन, 10 सितार, 20 ढोल और 03 विशाल नगाड़े, अखबार की कटिंग से बना कोलाज, बाॅक्स आॅफिस  काउण्टर व मदर इण्डिया की मूर्ति  बनाकर तैयार किया गया सर्किल विथ लाइट, बाल विथ स्टैण्ड, मटके, शीशा , गोल्डन मास्क, सजी हुई छड़ियाँ, मराठी झण्डा, तलवार, ढाल, बिगुल, मंदिर, झोंपड़ी, एलईडी के साथ गिटार, रंगबिरंगी मटकी, विशाल वृक्ष,  जंजीर, ढपली , शील्ड  चार चाँद लगाते हुए आकर्षण का केंद्र-बिंदु बने।  
विद्यालय के छात्र-छात्राओं ने अपने तन-मन से नृत्य, गीत, संगीत तथा अभिनय की धमाकेदार प्रस्तुति दी। विद्यालय के लगभग 150 बच्चे लाइव आॅर्केस्ट्रा के साथ म्यूजिकल प्राॅप्स नृत्य की भी प्रस्तुति दी गई। एक ओर जहाँ ड्रम तथा ढोलक की थाप थी तो वहीं दूसरी ओर खंजरी और ढपली की ताल थी। एक तरफ पैड, कांगो, बोंगो का साज था तो दूसरी तरफ साइड ड्रम व म्यूजिकल बाॅल की लहरें सबके मन को झकझोर रहीं थीं। कहीं कीबोर्ड की सरगम थी तो कहीं गिटार व सितार के तार झंकृत होकर श्रोताओं को भावविभोर कर रहे थे। बाल कलाकारों ने  नृत्य व गीतों से समूचे विद्यालय प्रांगण को संगीतमय बना दिया। ऐसा मालूम हो रहा था कि मानो विद्यालय में संगीतमयी बयार बह रही हो।
विद्यालय प्रशासन भी कार्यक्रम के दौरान पूर्णतः सतर्क दिखा वहीं यातायात सुरक्षा की दृष्टि से भी विद्यालय प्रबंधन निरंतर विद्यालय के वाहन चालकों परिचालकों को निरंतर निर्देशित कर रहा था।
1600 वर्ग फीट का यह विशाल मंच खुद में अनोखी भव्यता को लिए हुए था। इस विशालकाय मंच के निर्माण एवं लाइट साउण्ड की व्यवस्था का अनूठा दायित्व दिल्ली व मुंबई की सुप्रसिद्ध इवेंट कंपनियों को सौंपा गया था। इनकी कुशल कारीगरी व मेहनत मंच को देखकर स्पष्ट हो जाती है। सिने सुदर्शन में विद्याथर््िायों ने एक नहीं बल्कि सात अलग-अलग मंचों पर प्रस्तुति दी। जिसमें टाॅप स्टेज, मिडिल स्टेज, राइट स्टेज, लेफ्ट स्टेज, पानी वाला स्टेज व दो आॅर्केस्ट्रा के स्टेज भी शामिल थे। मंच को एक नए कान्सेप्ट के साथ बनाया गया था। दर्शकों को मंच का नजारा कुछ इस तरह देखने को मिला मानो कि वो समुद्र के किनारे खड़े हों। मंच के आगे पानी में जल परियाँ हैं, जो समुद्री तट का एहसास दिला रहीें हैं। साथ ही पानी के चारों ओर फैली रेत व उन पर उकेरीं गई जो सिने जगत की मशहूर हस्तियों की छवि एक अनोखे व नएपन का आभास करा रही थीं। मंच के सौंदर्यीकरण का काम विद्यालय के कला विभाग के शिक्षकों द्वारा ही किया गया। कुछ प्रस्तुतियां मंच के इर्द-गिर्द भी थीं। जैसे शोले के धर्मेद्र का टंकी वाला सीन काफी ऊँचाई पर दिखाया गया वहीं मुगल-ए-आजम में सलीम की एंट्री, बसंती का तांगा व अमिताभ बच्चन की लग्जरी कार के लिए भी अलग-अलग कई प्लेटफार्म तैयार किए गए। रितिक रोशन की धूम बाइक, गोविंदा का आॅटो रिक्शा आदि के लिए मंच तक गोलाकार रैम्प का निर्माण किया गया। न सिर्फ मंच बल्कि दर्शकों के इर्द-गिर्द कई प्रस्तुतियाँ दी गईं।  कार्यक्रम सफल एवं सुरक्षित रूप से सम्पन्न कराया गया। प्रमुख प्रस्तुतियों के लिए क्रेन आदि अन्य मशीनों को लगाया गया। इस तरह का मंच अभी तक विद्यालय स्तर पर नहीं बनाया गया।  दर्शकों में इन मंचों के प्रति अतीव उत्कंठा एवं अपूर्व कौतूहल है।

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