हाथरस/सासनी- के.एल. जैन इंटर कालेज परिसर में श्रीमद्भगवत सेवा समिति एवं ग्रामीण क्षेत्र के बैनर तले भव्य कलश शोभायात्रा के साथ श्रीमद्भागवत सप्ताह पारायण ज्ञान महायज्ञ का किया गया शुभारंभ, सती और भक्त धु्रव चरित्र सुन श्रोता हुए भावुक

हाथरस/सासनी।  के.एल. जैन इंटर कालेज परिसर में श्रीमद्भगवत सेवा समिति एवं ग्रामीण क्षेत्र के बैनरतले भव्य कलश शोभायात्रा के साथ श्रीमद्भागवत सप्ताह पारायण ज्ञान महायज्ञ का शुभारंभ किया गया। इस दौरान सैकड़ों की संख्या में महिलाओं ने अपने सिर पर कलश रखकर भव्य कलश शोभायात्रा निकाली। जो शहर के विभिन्न मार्गों से होते हुए पुनः के.एल. जैन इंटर कालेज पहुंची जहां विश्व विख्यात भागवत भाष्कर ब्रज गौरव श्रीकृष्णचंद शास्त्री ठाकुर जी महाराज ने माता सती और भक्त ध्रुव के चरित्र का बड़े ही रोचक ढंग से वर्णन किया।
भागवत कथा के दूसरे दिन आज श्रीमद्भागवत सप्ताह पारायण ज्ञान महायज्ञ के दौरान आचार्य ठाकुर जी महाराज ने  माता सती के चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि राजन्! मनु-शतरूपा की कन्या आकूति का विवाह पुत्री का धर्म के अनुसार रूचि प्रजापति से तथा प्रसूति कन्या का विवाह ब्रह्माजी के पुत्र दक्ष प्रजापति से किया। उससे उनके यहां सुंदर नेत्रों वाली सोलह कन्यायें उत्पन्न हुईं। इनमें से तेरह कन्यायें (श्रद्धा, मैत्री, दया, शांति, तुष्टि, पुष्टि, क्रिया, उन्नति, बुद्धि, मेधा, तितिक्षा,  और मूर्ति) धर्म की पत्नियां बनीं। स्वाहा नाम की कन्या अग्निदेव, स्वधा नामक कन्या समस्त पितरों की तथा सती नाम की कन्या महादेव की पत्नी बनीं। सती अपने पतिदेव की सेवा में ही संलग्न रहने वाली थीं। दक्ष प्रजापति की सभी कन्याओं को संतान की प्राप्ति हुई, परंतु सती के पिता दक्ष ने बिना ही किसी अपराध के भगवान् शिवजी से प्रतिकूल आचरण किया था, इसीलिए युवावस्था में ही क्रोध वश योग द्वारा स्वयं ही अपने शरीर का त्याग कर देने से सती को कोई संतान न हो सकी।  उधर ध्रुव का चरित्र बताते हुए ठाकुर जी ने कहा कि धु्रव मात्र पांच वर्ष की आयु में ही माता पिता को महल में सोते हुए छोड़ गये और भगवान की भक्ति में लग गये। जहां उन्हें श्री हरि ने दर्शन देकर आकाश के तारामंडल में स्थान दे दिया। कथा का भावार्थ सुनाते हुए आचार्य ने सुनाया कि यदि श्री हरि की हम सच्चे मन और लगन से भक्ति करते हैं तो निश्चित रुप से वे हमें तारामंडल में भक्त धु्रव की तरह स्थान देंगे।
कथा श्रवण के दौरान महेन्द्र सिंह सोलंकी, मोहित नंदन अग्रवाल, संजय सिंह सेंगर, चैधरी अर्जुन सिंह, हरवीर सिंह तोमर, बौबी पाठक, जितेन्द्र शर्मा, रुपेश उपाध्याय, हेमंत सेंगर, हरीशंकर वाष्र्णेय, दिनेश चंद्र वाष्र्णेय, महेश चंद्र वाष्र्णेय,  राजपाल सिंह, डा. जितेन्द्र सोलंकी आदि सैकड़ों भक्त मौजूद थे।


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