हाथरस। ‘‘जिसका कोई नहीं उसका तो खुदा है यारो’’ गीत की यह पंक्ति तब साकार हुई जब जनपद में मन्द बुद्धिजनों एवं असहायों की सेवा में तत्पर अपना घर आश्रम पर प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की आनन्दपुरी केन्द्र संचालिका शान्ता बहिन और अनन्य ब्रह्मावत्सों के सानिध्य में एक स्नेह मिलन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। लोगों को फल एवं मिष्ठान का वितरण भी किया गया। साथ ही रक्षासूत्र बाँधकर परमपिता परमात्मा शिव से इनके शीघ्र स्वस्थ्य होने की शुभकामना भी की गई।
‘‘जरा सोच ले दुखी मन बाबरे तेरा दुनिया में क्या कोई साथ है’’ गीत से कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया। इस अवसर पर ‘‘भारत फिर भरपूर बनेगा कोई नहीं कमी होगी’’ गीत की मधुर ध्वनि के मध्य शान्ता बहिन ने ओम की ध्वनि का उच्चारण भी कराया और बहुत कम समझपाने की स्थिति वाले जनों को चित्र दिखाकर उनके स्वयं की पहचान आत्मसाक्षात्कार कराने के साथ-साथ सभी धर्मआत्माओं के पिता परमपिता परमात्मा शिव के परिचय से भी रूबरू कराया गया।
उन्होंने कहा कि चारों ओर दुःख अशान्ति का माहौल है और इस माहौल से उबर न पाने के कारण आज अधिकांशजन तनाव की जिन्दगी जी रहे हैं जो इस तनाव की अधिकता को झेल नहीं पाता वह विक्षिप्त अवस्था तक पहुँच जाता है। अपनाघर आश्रम में एक ठिकाना और एक सही वातावरण मिला है जिससे जल्दी ही यहाँ लाये गये जन अपने सामान्य अवस्था में लौट आयेंगे। राकेश अग्रवाल, लकी अग्रवाल, अमित अग्रवाल द्वारा फलों का वितरण कराया गया। इस अवसर पर दुर्गेश बहिन, गजेन्द्र, कोमल, मदन मोहन वाष्र्णेय, नीरज वाष्र्णेय, महेन्द्र शर्मा, मुनीश सारस्वत, लाड़ो, लाखन, राखी, अन्नू आदि उपस्थित थे। संचालक मदन मोहन वाष्र्णेय ने ब्रह्माकुमारी बहिन एवं भाईयों का आभार व्यक्त किया।
‘‘जरा सोच ले दुखी मन बाबरे तेरा दुनिया में क्या कोई साथ है’’ गीत से कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया। इस अवसर पर ‘‘भारत फिर भरपूर बनेगा कोई नहीं कमी होगी’’ गीत की मधुर ध्वनि के मध्य शान्ता बहिन ने ओम की ध्वनि का उच्चारण भी कराया और बहुत कम समझपाने की स्थिति वाले जनों को चित्र दिखाकर उनके स्वयं की पहचान आत्मसाक्षात्कार कराने के साथ-साथ सभी धर्मआत्माओं के पिता परमपिता परमात्मा शिव के परिचय से भी रूबरू कराया गया।
उन्होंने कहा कि चारों ओर दुःख अशान्ति का माहौल है और इस माहौल से उबर न पाने के कारण आज अधिकांशजन तनाव की जिन्दगी जी रहे हैं जो इस तनाव की अधिकता को झेल नहीं पाता वह विक्षिप्त अवस्था तक पहुँच जाता है। अपनाघर आश्रम में एक ठिकाना और एक सही वातावरण मिला है जिससे जल्दी ही यहाँ लाये गये जन अपने सामान्य अवस्था में लौट आयेंगे। राकेश अग्रवाल, लकी अग्रवाल, अमित अग्रवाल द्वारा फलों का वितरण कराया गया। इस अवसर पर दुर्गेश बहिन, गजेन्द्र, कोमल, मदन मोहन वाष्र्णेय, नीरज वाष्र्णेय, महेन्द्र शर्मा, मुनीश सारस्वत, लाड़ो, लाखन, राखी, अन्नू आदि उपस्थित थे। संचालक मदन मोहन वाष्र्णेय ने ब्रह्माकुमारी बहिन एवं भाईयों का आभार व्यक्त किया।


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