हाथरस। अनाचार, अत्याचार, पापाचार, भ्रष्टाचार के समस्त लक्षण आज कल्पान्त में सभी को दिखाई दे रहे हैं। घर-घर महाभारत और यह कर्मभूमि ही धर्मभूमि और युद्धभूमि बनी हुई है। भाई भाई आपस में लड़ रहे हैं। एक नहीं अनेक द्रोपदियों के वस्त्र हरण हो रहे हैं। गद विष्टा खा रही है और मानव के रूप में शरीर से देखने में दिखता इंशान गयाओं को खा रहा है। वहाँ तो किसी का अन्तिम संस्कार करने के बाद स्नान कर लिया जाता है लेकिन लोगों के पेट ही शमशान बने हुए हैं। उन्हें चाहिए ज्ञान का स्नान जिससे पावन बने वह ज्ञान श्रीमद्भगवद्गीता में ही है जो आज स्वयं निराकार परमात्मा शिव फिर से सुना रहे हैं। लोग गीता से दूर भागते हैं क्योंकि वैराग्य आ जायेगा लेकिन आरती में स्वयं को मूरख खल कामी कहने में संकोच नहीं करते। अब यह दोगली बातें नहीं चलेंगी। गीता सुनने और सुनाने के पहले स्वयं के आचरण में आयेंगी तभी सार्थकता सिद्ध होगी।
इस अवसर पर आयकर आयुक्त सुनील बाजपेयी की पुस्तिका गीता ज्ञान सागर का विमोचन किया गया जिसमें गीता को सरल और सुबोध बनाने के लिए कविता का आधार लिया गया है। इसकी विस्तार से श्री बाजपेयी ने व्याख्या की। इस अवसर पर अजंनीश कुमार मित्तल, एवं एस0के0 शर्मा आयकर अधिकारी कन्या गुरूकुल की पवित्रा शर्मा आदि मंच पर उपस्थित थे।
इस अवसर पर आयकर आयुक्त सुनील बाजपेयी की पुस्तिका गीता ज्ञान सागर का विमोचन किया गया जिसमें गीता को सरल और सुबोध बनाने के लिए कविता का आधार लिया गया है। इसकी विस्तार से श्री बाजपेयी ने व्याख्या की। इस अवसर पर अजंनीश कुमार मित्तल, एवं एस0के0 शर्मा आयकर अधिकारी कन्या गुरूकुल की पवित्रा शर्मा आदि मंच पर उपस्थित थे।


एक टिप्पणी भेजें
जयहिंद मीडिया नेटवर्क में अपनी बात रखने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद।