हाथरस। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वाधान में कस्तूरबा गाॅधी बालिका विद्यालय डायट परिसर हाथरस, में विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्रीमती शिव कुमारी की अध्यक्षता में किया गया।
सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने उपस्थित छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि किसी भी प्रकार की कोई भी छेड़छाड़ या शोषण जैसी समस्या होनें पर शांत रहकर विरोध प्रकट करने की बात कही। उन्होने कहा कि इस प्रकार की घटना में प्रशासन पूरी तरह से आपके मदद के लिये है। किसी भी प्रकार की कोई भी समस्या होनें पर शासकीय नंबरों में संपर्क कर तत्काल इसकी सूचना दे। छात्राओं को शिक्षा का अधिकार व मौलिक अधिकारों के सम्बन्ध में विस्तार से जानकारी देते हुये बताया कि शिक्षा के अधिकार को मौलिक अधिकार बनया गया। सरकार द्वारा 06 वर्ष से 14 वर्ष तक के बच्चों को निःशुल्क शिक्षा का अधिकार दिया गया है। पढ़ने के लिये कोई उम्र निर्धारित नही होती है। उन्होने बताया कि 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चें द्वारा यदि कोई अपराध किया जाता है किशोर न्याय अधिनियम में उसे बाल अपचारी माना जाता है। उन्होने बच्चों से कहा कि पढ़ाई का टाइम टेविल बनाना चाहिए अन्य कार्यो के अतिरिक्त पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए।
उन्होंने पोक्सो अधिनियम के सम्बन्ध में जानकारी देते हुये बताया कि पोक्सोका पूरा नाम है ज्ीम च्तवजमबजपवद व् िब्ीपसकतमद थ्तवउ ैमगनंस व्ििमदबमे । बज या प्रोटेक्शन आॅफ चिल्डेंªन फ्राम सेक्सुअल अफेंसेस एक्ट। ये विशेष कानून सरकार ने साल 2012 में बनाया था। इस कानून के जरिए नाबालिग बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराध और छेड़छाड के मामले में कार्यवाही की जाती है। यह एक्ट बच्चों के सेक्युअल हैरेसमंेट, सेक्सुअल असाॅल्ट और पोर्नोग्राफी जैसे गंभीर अपराधों से सुरक्षा प्रदान करता है। वर्ष 2012 में बनाए गए इस काननू के तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय की गई है। यदि अभियुुक्त एक किशोर है तो उसके ऊपर किशोर न्यायालय अधिनियम में केस चलाया जाएगा। इस एक्ट में ये भी नियम है कि यदि कोई व्यक्ति यह जनता है कि किसी बच्चे के साथ गलत कृत्य हुआ तो उसके इसकी रिपोर्ट नजदीकी थाने में देनी चाहिए, यदि वो ऐसा नहीं करता है तो उसे 06 महीने तक जेल हो सकती है। विधिक साक्षरता शिविर का संचालन अध्यापिका, श्रीमती नीरू सक्सैना द्वारा किया गया। इस अवसर पर नीरू सक्सैना, श्रीमती सुमन, श्रीमती नीलू कुलश्रेष्ठ, श्रीमती प्रिया, व पूनम व श्रीमती सुनीता तथा काफी संख्या में छात्रायें उपस्थित रही।
सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने उपस्थित छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि किसी भी प्रकार की कोई भी छेड़छाड़ या शोषण जैसी समस्या होनें पर शांत रहकर विरोध प्रकट करने की बात कही। उन्होने कहा कि इस प्रकार की घटना में प्रशासन पूरी तरह से आपके मदद के लिये है। किसी भी प्रकार की कोई भी समस्या होनें पर शासकीय नंबरों में संपर्क कर तत्काल इसकी सूचना दे। छात्राओं को शिक्षा का अधिकार व मौलिक अधिकारों के सम्बन्ध में विस्तार से जानकारी देते हुये बताया कि शिक्षा के अधिकार को मौलिक अधिकार बनया गया। सरकार द्वारा 06 वर्ष से 14 वर्ष तक के बच्चों को निःशुल्क शिक्षा का अधिकार दिया गया है। पढ़ने के लिये कोई उम्र निर्धारित नही होती है। उन्होने बताया कि 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चें द्वारा यदि कोई अपराध किया जाता है किशोर न्याय अधिनियम में उसे बाल अपचारी माना जाता है। उन्होने बच्चों से कहा कि पढ़ाई का टाइम टेविल बनाना चाहिए अन्य कार्यो के अतिरिक्त पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए।
उन्होंने पोक्सो अधिनियम के सम्बन्ध में जानकारी देते हुये बताया कि पोक्सोका पूरा नाम है ज्ीम च्तवजमबजपवद व् िब्ीपसकतमद थ्तवउ ैमगनंस व्ििमदबमे । बज या प्रोटेक्शन आॅफ चिल्डेंªन फ्राम सेक्सुअल अफेंसेस एक्ट। ये विशेष कानून सरकार ने साल 2012 में बनाया था। इस कानून के जरिए नाबालिग बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराध और छेड़छाड के मामले में कार्यवाही की जाती है। यह एक्ट बच्चों के सेक्युअल हैरेसमंेट, सेक्सुअल असाॅल्ट और पोर्नोग्राफी जैसे गंभीर अपराधों से सुरक्षा प्रदान करता है। वर्ष 2012 में बनाए गए इस काननू के तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय की गई है। यदि अभियुुक्त एक किशोर है तो उसके ऊपर किशोर न्यायालय अधिनियम में केस चलाया जाएगा। इस एक्ट में ये भी नियम है कि यदि कोई व्यक्ति यह जनता है कि किसी बच्चे के साथ गलत कृत्य हुआ तो उसके इसकी रिपोर्ट नजदीकी थाने में देनी चाहिए, यदि वो ऐसा नहीं करता है तो उसे 06 महीने तक जेल हो सकती है। विधिक साक्षरता शिविर का संचालन अध्यापिका, श्रीमती नीरू सक्सैना द्वारा किया गया। इस अवसर पर नीरू सक्सैना, श्रीमती सुमन, श्रीमती नीलू कुलश्रेष्ठ, श्रीमती प्रिया, व पूनम व श्रीमती सुनीता तथा काफी संख्या में छात्रायें उपस्थित रही।
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