छतरपुर मध्यप्रदेश से पधारे श्रीप्रकाश पटेरिया ने पढ़ा कि- ‘‘जो नफरत मर चुकी हो हम उसे जिन्दा नहीं करते, कभी भूले से भी दुश्मन की हम निन्दा नहीं करते’’। अलीगढ़ से आये नरेन्द्र शर्मा नरेन्द्र ने पढ़ा कि ‘‘यों तो पंजाबी, बंगाली, गुजराती, मद्रासी हैं, आॅच एकता पर आये तो हम सब भारतवासी हैं’’। आगरा से आये डा0 अंगद धारिया ने पढ़ा कि ‘‘हमारा प्यारा हिन्दुस्तान जगत से न्यारा हिन्दुस्तान, हिमगिरि के उन्तुग शिखर हैं, औ नदियों की तान’’। दिल्ली से आये सृजन शीतल ने पढ़ा कि- ‘‘सबकी नजरांे से चुरा लूं तुझको, अपने सीने में बसा लूं तुझको’’। सैफई से आये सचिन इलाहाबादी ने पढ़ा कि ‘‘हिमालय की हवाओं से हमें आवाज है आयी, शहीदों की दुआओं ने हमे फरियाद है लाई’’। आगरा से आये दीपक दिव्यांशू ने पढ़ा कि ‘‘लगभग लगभग नामुनकिन है मुझको रखना ताले में, दीपक हूॅ में धरम है मेरा सबको रखूं उजाले में’’। आगरा से आयीं कवियित्री भूमिका जैन ने पढ़ा कि ‘‘धार हूॅ, आधार हूॅ, अवतार हूॅ, उपकार हूॅ मैं, क्या समझ कर कह दिया कि व्यर्थ हूॅ बेकार हूॅ मैं’’। हाथरस से आयीं मनु दीक्षित ‘मनु’ ने पढ़ा कि ‘‘ तिरंगे पे लुटा दे जां यही अरमान लिखते हैं, रक्त की बूंद बूंद से वो हिन्दुस्तान लिखते हैं’’। राणा मुनी प्रताप ने पढ़ा कि लखन सा अनुराग मिथलेश सा विराग त्याग महाभागियों का चुकने ना देंगे हम, चाहे कितना भी कोई करले प्रयास किन्तु अपना तिरंगा कभी झुकने ना देंगे हम। अतुल चैहान ने पढ़ा कि ‘‘परेशानी मुझे जब भी कभी है घेरती आकर, तभी मैं माॅ के फोटो को उठाकर चूम लेता हूॅ’’। काव्यपाठ करने वालों में डा0 अनिल गहलौत, पदम अलबेला, अनिल बौहरे, मनोज चैहान, विपिन चैहान ‘मन’, योगेन्द्र रघुवंशी, सुश्रुत त्रिपाठी ‘मयंक’, अनमोल चैहान, गीती सिंह ‘गीत’ आदि ने काव्यपाठ किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से देवेन्द्र दीक्षित ‘शूल’, बलवीर सिंह पौरूश, ओम प्रकाश एकवोकेट, अजीत शर्मा, पवन पण्डित, विवेकशील राघव, ऋशि सिसोदिया, दीपक चैहान, विजय प्रताप सिंह, ज्ञानी सिसोदिया, पंकज यादव, प्रशान्त पुण्ढ़ीर, अरूण पुण्ढ़ीर, कौशलेश चैहान, यतेन्द्र सिंह फौजी, वीरपाल यादव, दुश्यन्त सिंह चैहान आदि लोग मौजूद थे।
छतरपुर मध्यप्रदेश से पधारे श्रीप्रकाश पटेरिया ने पढ़ा कि- ‘‘जो नफरत मर चुकी हो हम उसे जिन्दा नहीं करते, कभी भूले से भी दुश्मन की हम निन्दा नहीं करते’’। अलीगढ़ से आये नरेन्द्र शर्मा नरेन्द्र ने पढ़ा कि ‘‘यों तो पंजाबी, बंगाली, गुजराती, मद्रासी हैं, आॅच एकता पर आये तो हम सब भारतवासी हैं’’। आगरा से आये डा0 अंगद धारिया ने पढ़ा कि ‘‘हमारा प्यारा हिन्दुस्तान जगत से न्यारा हिन्दुस्तान, हिमगिरि के उन्तुग शिखर हैं, औ नदियों की तान’’। दिल्ली से आये सृजन शीतल ने पढ़ा कि- ‘‘सबकी नजरांे से चुरा लूं तुझको, अपने सीने में बसा लूं तुझको’’। सैफई से आये सचिन इलाहाबादी ने पढ़ा कि ‘‘हिमालय की हवाओं से हमें आवाज है आयी, शहीदों की दुआओं ने हमे फरियाद है लाई’’। आगरा से आये दीपक दिव्यांशू ने पढ़ा कि ‘‘लगभग लगभग नामुनकिन है मुझको रखना ताले में, दीपक हूॅ में धरम है मेरा सबको रखूं उजाले में’’। आगरा से आयीं कवियित्री भूमिका जैन ने पढ़ा कि ‘‘धार हूॅ, आधार हूॅ, अवतार हूॅ, उपकार हूॅ मैं, क्या समझ कर कह दिया कि व्यर्थ हूॅ बेकार हूॅ मैं’’। हाथरस से आयीं मनु दीक्षित ‘मनु’ ने पढ़ा कि ‘‘ तिरंगे पे लुटा दे जां यही अरमान लिखते हैं, रक्त की बूंद बूंद से वो हिन्दुस्तान लिखते हैं’’। राणा मुनी प्रताप ने पढ़ा कि लखन सा अनुराग मिथलेश सा विराग त्याग महाभागियों का चुकने ना देंगे हम, चाहे कितना भी कोई करले प्रयास किन्तु अपना तिरंगा कभी झुकने ना देंगे हम। अतुल चैहान ने पढ़ा कि ‘‘परेशानी मुझे जब भी कभी है घेरती आकर, तभी मैं माॅ के फोटो को उठाकर चूम लेता हूॅ’’। काव्यपाठ करने वालों में डा0 अनिल गहलौत, पदम अलबेला, अनिल बौहरे, मनोज चैहान, विपिन चैहान ‘मन’, योगेन्द्र रघुवंशी, सुश्रुत त्रिपाठी ‘मयंक’, अनमोल चैहान, गीती सिंह ‘गीत’ आदि ने काव्यपाठ किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से देवेन्द्र दीक्षित ‘शूल’, बलवीर सिंह पौरूश, ओम प्रकाश एकवोकेट, अजीत शर्मा, पवन पण्डित, विवेकशील राघव, ऋशि सिसोदिया, दीपक चैहान, विजय प्रताप सिंह, ज्ञानी सिसोदिया, पंकज यादव, प्रशान्त पुण्ढ़ीर, अरूण पुण्ढ़ीर, कौशलेश चैहान, यतेन्द्र सिंह फौजी, वीरपाल यादव, दुश्यन्त सिंह चैहान आदि लोग मौजूद थे।
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