हाथरस। मेला श्री दाऊजी महाराज के विशाल पंडाल में ब्रजकवि पं. सुरेश चतुर्वेदी की स्मृति में अखिल भारतीय ब्रजभाषा स्वर्ण जयन्ती कवि सम्मेलन का उद्घाटन पूर्व केन्द्रीय मंत्री रामजीलाल सुमन ने दीप प्रज्वलित कर किया।
प्रयोगवादी आशुकवि अनिल बौहरे ने अपने संयोजकत्व में अखिल भारतीय ब्रजभाषा स्वर्ण जयन्ती कवि सम्मेलन को ऐतिहासिक बनाय दयौ। कवि सम्मेलन कौ पूर्णानन्द लै रहे जिलाधिकारी ए. के. सिंह तथा एसडीएम सदर राकेश गुप्ता की उपस्थिति में सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता करिके ज्ञान दयौ। हाथरस सौ राजा दयाराम कौ बिछोह 2-3 मार्च 1817 की रात्रि भयौ। दाऊ मंदिर कूं पुरातत्व महत्व मुंशी हबीब उल्ला खां तहसीलदार ने दिबायौ। सन् 1913 के मेला में 752 रूपया चंदा में से 150 रूपया मंदिर मालिक चैबे शम्भूनाथ के दयै तथा ब्रजभाषा कवि सम्मेलन कौ विचार सेठ रामबाबूलाल की कोठी सौं शुरू भयौ तथा स्मृति शेष निर्भय हाथरसी, श्याम बाबा, गोकुलचन्द्र आर्य तथा देवकीनन्दन विकल ने सुरेश चतुर्वेदी कूं संयोजक बनायौ। सामान्य ज्ञान सौ स्वर्ण जयन्ती केसरी कौ खिताब डा. गुरूदत्त भारतीय, चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य और राधेश्याम पागल कूं मिलौ।
जनमंच के संयोजन में हरीश शर्मा एड., अमृतसिंह पौनियां, राजेश सिंह गुड्डू, ब्रजेश वशिष्ठ आदि ने ब्रजकला केन्द्र मथुरा और 75 वर्ष से बड़े कवि, पत्रकार, काव्य सेवीन कौ सम्मान करौ। स्वर्ण जयन्ती पै सभी उपस्थित कवि, पत्रकार, छायाकारन के साथ 50 काव्यसेवी सम्मानित किये। कवि सम्मेलन ईद से हिन्दी दिवस तक चलौ। मां सरस्वती वंदना राजस्थान के गोपाल प्रसाद मुद्गल, दाऊ वंदना राधा गोविन्द पाठक, राष्ट्र वंदना सोम ठाकुर ने ‘मेरे भारत की माटी चंदन और अबीर’ तथा उन्हीं ने ‘करते आराधन हिन्दी का’ करी।
कविअन में रामेन्द्र मोहन त्रिपाठी-घेरदार घांघरो घुमाय कै चली कूं. 5100 रूपया कौ पं. सुरेश चतुर्वेदी स्मृति सम्मान, हास्य कवि संत हाथरसी स्मृति युगल सम्मान कवयित्री सुधा अरोरा और हास्यकवि मणि मधुकर मूसल कूं, अमरचंद बांठिया स्मृति सम्मान अनिल सारस्वत काशीपुर तथा लक्ष्मीनारायन दाल बारे स्मृति सम्मान सुकवि रामबाबू त्रिवेदी ‘भास्कर’ कूं प्रदान करौ गयौ।
कवि सम्मेलन संयोजन में पत्रकार रतन गुप्ता, गोपाल चतुर्वेदी, श्यामबाबू चिन्तन, सहसंयोजक कवयित्री मनु दीक्षित, चित्रकार थानसिंह कुशवाहा, विद्यासागर विकल, विजय सिंह प्रेमी, जयशंकर पाराशर, संदीप जैन, शीतल प्रसाद शर्मा, नत्थीलाल पाराशर, सोमदत्त आदि जुटे भयै थे। कुल 25 कविअन ने काव्य पाठ करौ, जिनमें कुछ रचना यौं हतीं-
फिल्मी गीतकार रामेन्द्र मोहन त्रिपाठी-कृष्णा आराधिका है गयी, राधिका साधिका है गई।
प्रोफेसर सोम ठाकुर-करते हैं तन मन सौं वन्दन, जन गण मन की अभिलाषा कौ, अभिनन्दन अपनी संस्कृति कौ, आराधन अपनी भाषा कौ।
हास्य पैरोडी रामबाबू सिकरवार (धौलपुर)-मनरेगा की मजदूरी, माला माल खाइ गये, सरकारी योजना कूं मकड़जाल करिकै खाइ गये।
हास्यकवि ब्रजेन्द्र चकौर (धौलपुर)-नारी निज वस्त्र, खुद फैशन में दीने फेंक, मारे शरम के दुःशासन हूं मर जावैगौ।
हास्य कवि मणि मधुकर मूसल (अण्डला)-नाइ जीत सकै तू हमसै सदा युद्ध हारैगौ, तहस नहस कर दिंगे तू मक्खी मारैगौ।
कवयित्री सुधा अरोरा (मथुरा)-प्यार महफिल में अब बिछौना भयौ, धन के आगे अब प्यार हूं बौनौ भयौ।
श्रीमती चन्द्रेश जैन (एटा)-सैंया चल ब्रजधाम, बनिंगे सारे काम।
गीतकार डा. राधेशम मिश्र (कानपुर)-पनघट के पिछवारे घेरि गयौ सांवरिया।
ब्रजवासी (अतरौली)-ब्रज की रज चंदन जैसी, याकूं मस्तक धारौ।
अशोक अज्ञ (वृन्दावन)-बल्देव कृपा करियौ इतनी, लगौ रहे आनौ जानौ।
इनके अलावा इगलास सौ श्रीप्रकाश सृजन, विजयप्रकाश सारस्वत, भोजसिंह ‘भोज’ दरियापुर, ठा. जसवीर सिंह ऐेंहन, बदनसिंह मस्ताना भौगांव, पूनम ठाकुर मौहारी, सुरेन्द्र कुमार जीतू सिकन्द्राराऊ के साथ हाथरस से श्यामबाबू चिन्तन, देवीसिंह निडर, डा. नीलम वाष्र्णेय, प्रदीप पंडित, गुलशन खांडे ने रंग जमायौ। मीरा दीक्षित, बाला शर्मा ने सहयोग करौ। संचालन संयोजक आशुकवि अनिल बौहरे और सहसंयोजक कवयित्री मनु दीक्षित ने करौ। समन्वयन खंड विकास अधिकारी मुरसान महेशचन्द्र पचैरी ने करौ।
प्रयोगवादी आशुकवि अनिल बौहरे ने अपने संयोजकत्व में अखिल भारतीय ब्रजभाषा स्वर्ण जयन्ती कवि सम्मेलन को ऐतिहासिक बनाय दयौ। कवि सम्मेलन कौ पूर्णानन्द लै रहे जिलाधिकारी ए. के. सिंह तथा एसडीएम सदर राकेश गुप्ता की उपस्थिति में सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता करिके ज्ञान दयौ। हाथरस सौ राजा दयाराम कौ बिछोह 2-3 मार्च 1817 की रात्रि भयौ। दाऊ मंदिर कूं पुरातत्व महत्व मुंशी हबीब उल्ला खां तहसीलदार ने दिबायौ। सन् 1913 के मेला में 752 रूपया चंदा में से 150 रूपया मंदिर मालिक चैबे शम्भूनाथ के दयै तथा ब्रजभाषा कवि सम्मेलन कौ विचार सेठ रामबाबूलाल की कोठी सौं शुरू भयौ तथा स्मृति शेष निर्भय हाथरसी, श्याम बाबा, गोकुलचन्द्र आर्य तथा देवकीनन्दन विकल ने सुरेश चतुर्वेदी कूं संयोजक बनायौ। सामान्य ज्ञान सौ स्वर्ण जयन्ती केसरी कौ खिताब डा. गुरूदत्त भारतीय, चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य और राधेश्याम पागल कूं मिलौ।
जनमंच के संयोजन में हरीश शर्मा एड., अमृतसिंह पौनियां, राजेश सिंह गुड्डू, ब्रजेश वशिष्ठ आदि ने ब्रजकला केन्द्र मथुरा और 75 वर्ष से बड़े कवि, पत्रकार, काव्य सेवीन कौ सम्मान करौ। स्वर्ण जयन्ती पै सभी उपस्थित कवि, पत्रकार, छायाकारन के साथ 50 काव्यसेवी सम्मानित किये। कवि सम्मेलन ईद से हिन्दी दिवस तक चलौ। मां सरस्वती वंदना राजस्थान के गोपाल प्रसाद मुद्गल, दाऊ वंदना राधा गोविन्द पाठक, राष्ट्र वंदना सोम ठाकुर ने ‘मेरे भारत की माटी चंदन और अबीर’ तथा उन्हीं ने ‘करते आराधन हिन्दी का’ करी।
कविअन में रामेन्द्र मोहन त्रिपाठी-घेरदार घांघरो घुमाय कै चली कूं. 5100 रूपया कौ पं. सुरेश चतुर्वेदी स्मृति सम्मान, हास्य कवि संत हाथरसी स्मृति युगल सम्मान कवयित्री सुधा अरोरा और हास्यकवि मणि मधुकर मूसल कूं, अमरचंद बांठिया स्मृति सम्मान अनिल सारस्वत काशीपुर तथा लक्ष्मीनारायन दाल बारे स्मृति सम्मान सुकवि रामबाबू त्रिवेदी ‘भास्कर’ कूं प्रदान करौ गयौ।
कवि सम्मेलन संयोजन में पत्रकार रतन गुप्ता, गोपाल चतुर्वेदी, श्यामबाबू चिन्तन, सहसंयोजक कवयित्री मनु दीक्षित, चित्रकार थानसिंह कुशवाहा, विद्यासागर विकल, विजय सिंह प्रेमी, जयशंकर पाराशर, संदीप जैन, शीतल प्रसाद शर्मा, नत्थीलाल पाराशर, सोमदत्त आदि जुटे भयै थे। कुल 25 कविअन ने काव्य पाठ करौ, जिनमें कुछ रचना यौं हतीं-
फिल्मी गीतकार रामेन्द्र मोहन त्रिपाठी-कृष्णा आराधिका है गयी, राधिका साधिका है गई।
प्रोफेसर सोम ठाकुर-करते हैं तन मन सौं वन्दन, जन गण मन की अभिलाषा कौ, अभिनन्दन अपनी संस्कृति कौ, आराधन अपनी भाषा कौ।
हास्य पैरोडी रामबाबू सिकरवार (धौलपुर)-मनरेगा की मजदूरी, माला माल खाइ गये, सरकारी योजना कूं मकड़जाल करिकै खाइ गये।
हास्यकवि ब्रजेन्द्र चकौर (धौलपुर)-नारी निज वस्त्र, खुद फैशन में दीने फेंक, मारे शरम के दुःशासन हूं मर जावैगौ।
हास्य कवि मणि मधुकर मूसल (अण्डला)-नाइ जीत सकै तू हमसै सदा युद्ध हारैगौ, तहस नहस कर दिंगे तू मक्खी मारैगौ।
कवयित्री सुधा अरोरा (मथुरा)-प्यार महफिल में अब बिछौना भयौ, धन के आगे अब प्यार हूं बौनौ भयौ।
श्रीमती चन्द्रेश जैन (एटा)-सैंया चल ब्रजधाम, बनिंगे सारे काम।
गीतकार डा. राधेशम मिश्र (कानपुर)-पनघट के पिछवारे घेरि गयौ सांवरिया।
ब्रजवासी (अतरौली)-ब्रज की रज चंदन जैसी, याकूं मस्तक धारौ।
अशोक अज्ञ (वृन्दावन)-बल्देव कृपा करियौ इतनी, लगौ रहे आनौ जानौ।
इनके अलावा इगलास सौ श्रीप्रकाश सृजन, विजयप्रकाश सारस्वत, भोजसिंह ‘भोज’ दरियापुर, ठा. जसवीर सिंह ऐेंहन, बदनसिंह मस्ताना भौगांव, पूनम ठाकुर मौहारी, सुरेन्द्र कुमार जीतू सिकन्द्राराऊ के साथ हाथरस से श्यामबाबू चिन्तन, देवीसिंह निडर, डा. नीलम वाष्र्णेय, प्रदीप पंडित, गुलशन खांडे ने रंग जमायौ। मीरा दीक्षित, बाला शर्मा ने सहयोग करौ। संचालन संयोजक आशुकवि अनिल बौहरे और सहसंयोजक कवयित्री मनु दीक्षित ने करौ। समन्वयन खंड विकास अधिकारी मुरसान महेशचन्द्र पचैरी ने करौ।
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