हाथरस। ब्रह्माकुमारीज़ के आनन्दपुरी केन्द्र की बहिनों के रक्षाबन्धन के 10 दिवसीय रक्षाबन्धन कार्यक्रम का अगला पड़ाव सांस्कृतिक राष्ट्रजागरण का प्राथमिक संस्कार केन्द्र मातृछाया बना जहाँ भारतवर्ष के विभिन्न राज्यों आसाम, नागालैण्ड, मिजोरम, त्रिपुरा, मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों से आये तथा अपने माता-पिता और परिजनों से दूर रहकर सुसंस्कारित बनने की शिक्षा ग्रहण करने के साथ-साथ ऐकेडमिक षिक्षा भी लेने वाले बच्चों की सूनी कलाईयों और आत्मिक स्मृति के तिलक से ब्रह्माकुमारी बहिनों द्वारा गुलजार किया गया।
कार्यक्रम का शुभारम्भ दिनेश भाई द्वारा प्रस्तुत किये गये गीत - ‘‘जो काम बड़ों से हो न सकें हम छोटे कर दिखलायेंगे’’ से हुआ। तदुपरान्त प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की आनन्दपुरी केन्द्र संचालिका बीके शान्ता बहिन ने अपने सम्बोधन मे कहा कि देवताओं और असुरों के युद्ध में देवताओं को विजयी होने के लिए इन्द्राणी द्वारा बाँधी गई राखी तदअसल मनुष्य में मन में चल रहे आसुरी और दैवीय संस्कारों के युद्ध में विजयी होने का यादगार है। यह त्यौहार सतयुग और कलियुग के दैवीय और आसुरी संस्कारों के मध्य कल्याणकारी पुरुषोत्तम संगमयुग की यादगार है जबकि परमपिता परमात्मा शिव बुराईयों रूपी आसुरी संस्कारों पर विजय प्राप्त कराने के लिए पवित्रता रूपी प्रतिज्ञा कराते हैं और विजयी भव का मंत्र मनमनाभव भी देते हैं।
सम्बोधन के उपरान्त सभी बालकों को परमपिता परमात्मा शिव के चिन्ह से सुशोभित राखियाँ बाँधकर फल दिया गया। इस अवसर पर मातृछाया व्यवस्थापक प्रमोद कुमार, बीके ओम प्रकाश, सीपी शर्मा, कल्यान सिंह, माधवी, बबली, चन्द्रमुखी, पूर्णिमा भारद्वाज, इन्द्रपाल सिंह, प्रवीन कुमार, बीके कोमल बहिन, गजेन्द्र भाई, कल्यान सिंह, आदि उपस्थित थे।
कार्यक्रम का शुभारम्भ दिनेश भाई द्वारा प्रस्तुत किये गये गीत - ‘‘जो काम बड़ों से हो न सकें हम छोटे कर दिखलायेंगे’’ से हुआ। तदुपरान्त प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की आनन्दपुरी केन्द्र संचालिका बीके शान्ता बहिन ने अपने सम्बोधन मे कहा कि देवताओं और असुरों के युद्ध में देवताओं को विजयी होने के लिए इन्द्राणी द्वारा बाँधी गई राखी तदअसल मनुष्य में मन में चल रहे आसुरी और दैवीय संस्कारों के युद्ध में विजयी होने का यादगार है। यह त्यौहार सतयुग और कलियुग के दैवीय और आसुरी संस्कारों के मध्य कल्याणकारी पुरुषोत्तम संगमयुग की यादगार है जबकि परमपिता परमात्मा शिव बुराईयों रूपी आसुरी संस्कारों पर विजय प्राप्त कराने के लिए पवित्रता रूपी प्रतिज्ञा कराते हैं और विजयी भव का मंत्र मनमनाभव भी देते हैं।
सम्बोधन के उपरान्त सभी बालकों को परमपिता परमात्मा शिव के चिन्ह से सुशोभित राखियाँ बाँधकर फल दिया गया। इस अवसर पर मातृछाया व्यवस्थापक प्रमोद कुमार, बीके ओम प्रकाश, सीपी शर्मा, कल्यान सिंह, माधवी, बबली, चन्द्रमुखी, पूर्णिमा भारद्वाज, इन्द्रपाल सिंह, प्रवीन कुमार, बीके कोमल बहिन, गजेन्द्र भाई, कल्यान सिंह, आदि उपस्थित थे।
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