रंज-ओ-गम के बीच ताजिये सुपुर्द-ए-खाक

हाथरस। पैगम्बर हजरत मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन और उनके जानिसारों की शहादत की याद में जिले भर में मुहर्रम का मातमी जुलूस निकाले गए, जिसमें सैकड़ों लोग मातम करते हुए चल रहे थे। सोगवारों ने खुद को जंजीरों व छुरियों से लहूलुहान कर उनकी शहादत को सलामी दी।  इस दौरान विभिन्न अखाड़ों के करतबबाजों ने पूरे रास्ते हैरतअंगेज करतब दिखाए। सुरक्षा के लिहाज से व्यापक बंदोबस्त रहे।
आल इंडिया शिया सोसाइटी की सरपरस्ती में मुहर्रम की दसवीं तारीख को मुहर्रम का जुलूस किला गेट से निकाला गया। जुलूस में पहले मजलिस में खिताब फरमाते हुए मौलाना सैयद शहनशाह हुसैन जैदी ने फरमाया कि दसवीं मुहर्रम को हजरत इमाम हुसैन और उनके 71 जानिसारों को करबला के मैदान में तीन दिन की भूख और प्यास से शहीद कर दिया गया था। आपने अपना पूरा घर करबला में इंसानियत और इस्लाम की खातिर न्यौछावर कर दिया, लेकिन जालिम की बैयत कबूल नहीं की। अंजुमन में नौजवानों ने जंजीरों व छुरियों से मातम किया। यह जुलूस विभिन्न बाजारों से होते हुए कामरेड भगवानदास मार्ग, मुरसान गेट स्थित करबला पहुंचा जहां पर ताजिए सुपुर्द ए खाक किए गए।
ऑल इंडिया शेख जमी अतुल अब्बास कमेटी के सदर व पूर्व सभासद डा. रईस अहमद अब्बासी की अगुवाई में जुलूस में कई अखाड़े करतब दिखाते हुए चल रहे थे। करतब देखने के लिये जनसैलाब उमड़ पड़ा। जुलूस में दुलदुल घोड़ा आकर्षण का केन्द्र बना रहा। बच्चे भी जुलूस में शामिल हुए।
जुलूस में हाजी नवाब हसन, मिर्जा अजहर बेग, अजीम खान, मुशीर अंसारी, वारिस अंसारी, शहजादे खान, लियाकत खान, राजा, राशिद, शमशाद कुरैशी, असलम अब्बासी, परवेश खान, इकबाल खान, फरह खान, कल्लू खां, नसरुद्दीन, फारुख खान,      चैधरी अजमेरी खां, शिया सोसाइटी के सदर हसन मोहम्मद, चांद मियां, एजाज, मेहंदी, मुबीन, कमर, सफदर, शुजामोहम्मद, इमरान, बब्बू, इरफान, रिजवान, आशू, सैफी, जीशान, रिजवान, सलमान, मोहम्मद तकी, शब्बर, वसीम, बबली, परवेज, जौली, बॉबी, शाकिर, ऐनुल, रजा मेहंदी, साहिल, जाहिद हुसैन, आविद हुसैन, हामिद हुसैन, रईस, नासिर, रईसुल सहल, जब्बार हुसैन, शब्बू मियां, विजय सिंह प्रेमी, वीरी सिंह कर्दम, विनय शर्मा,  आदि शामिल थे।

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